अमेठी सीट पर पहली बार नहीं हुआ ऐसा... कांग्रेस के एक फैसले से टूट गए दो रिकॉर्ड

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद से ही यह सवाल बना हुआ था कि इस बार यूपी की रायबरेली और अमेठी सीट पर कांग्रेस की ओर से कौन उम्मीदवार होगा। चुनाव शुरू होने और दो चरण बीत जाने के बाद भी कांग्रेस की ओर से नाम फाइनल नहीं किया गया। आखिरकार यूप

4 1 7
Read Time5 Minute, 17 Second

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद से ही यह सवाल बना हुआ था कि इस बार यूपी की रायबरेली और अमेठी सीट पर कांग्रेस की ओर से कौन उम्मीदवार होगा। चुनाव शुरू होने और दो चरण बीत जाने के बाद भी कांग्रेस की ओर से नाम फाइनल नहीं किया गया। आखिरकार यूपी की दो सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम 3 मई शुक्रवार की सुबह ही तय किए जा सके। 20 मई को होने वाले पांचवें चरण के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने का 3 मई आखिरी दिन था। रायबरेली लोकसभा सीट से राहुल गांधी और अमेठी से किशोरी लाल शर्मा का नाम फाइनल हुआ। कांग्रेस पार्टी में आखिरी समय में लिए गए फैसले से दो रिकॉर्ड भी टूट गए। पहला अमेठी में 43 साल बाद कांग्रेस ने आखिरी समय में उम्मीदवार की घोषणा की। दूसरा, 25 साल बाद अमेठी में नेहरू-गांधी परिवार का कोई उम्मीदवार नहीं होगा।

राजीव गांधी के नाम का आखिरी वक्त में हुआ ऐलान
राजनीतिक विश्लेषकों को भले ही अंतिम समय में लिया गया यह फैसला चौंकाने वाला लग रहा हो लेकिन अमेठी के पुराने लोगों का कहना है कि यह महज एक ऐतिहासिक पुनरावृत्ति थी। अमेठी से ताल्लुक रखने वाले और गांधी परिवार के करीबी कुछ लोगों का कहना है कि अमेठी देश की सबसे चर्चित सीटों में से एक है और यही वजह है कि इस सीट पर होने वाला छोटा-मोटा बदलाव भी मायने रखता है। नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन कांग्रेस ने आखिरकार किशोरी लाल शर्मा के नाम की घोषणा कर दी। हालांकि पार्टी 1981 में भी इसी तरह की स्थिति में फंस गई थी, जब मैराथन बैठकों के बाद आखिरकार उम्मीदवार के नाम को अंतिम रूप दिया गया। उस साल नामांकन दाखिल करने के आखिरी वक्त में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम की घोषणा की गई थी। जिन्होंने 1981 के उपचुनावों में सबसे अधिक वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी।

अमेठी में 25 साल बाद चुनावी मैदान में गांधी परिवार का कोई सदस्य नहीं
25 साल बाद अमेठी में इस बार कोई गैर-गांधी उम्मीदवार मैदान में है। अमेठी से चुनाव लड़ने वाले आखिरी गैर-गांधी उम्मीदवार 1998 में सतीश शर्मा थे, जो बीजेपी के संजय सिंह से हार गए थे। 1998 के लोकसभा चुनावों में संजय सिंह ने कांग्रेस के सतीश शर्मा को हराया। हालांकि बाद में सोनिया गांधी ने 1999 में संजय सिंह को तीन लाख से ज्यादा वोटों से हराकर सीट फिर से हासिल की। 2004 में वह रायबरेली सीट पर चली गईं जिसके बाद इस सीट पर राहुल गांधी चुनाव लड़े। राहुल गांधी ने 2004, 2009 और 2014 में लगातार तीन बार सीट जीती। 2014 में राहुल गांधी ने 4,08,651 वोट हासिल करके जीत की हैट्रिक बनाई थी और बीजेपी की स्मृति ईरानी को हराया। हालांकि 2019 में पार्टी की विरासत टूट गई, जब स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 55 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया।

14 लोकसभा चुनावों में 11 बार जीत
कांग्रेस ने अब तक अमेठी सीट पर हुए 14 लोकसभा चुनावों में 11 बार जीत हासिल की है। अमेठी से जीतने वाले पहले कांग्रेस उम्मीदवार वी डी बाजपेयी थे जिन्होंने 1967 में और फिर 1971 में जीत हासिल की। 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी ने पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। हालांकि 1980 में संजय गांधी इस सीट से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीते। उनके मौत के कुछ महीनों बाद उनके बड़े भाई राजीव गांधी ने उपचुनाव में यह सीट जीती।

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

झारखंड के साथ याद आते हैं नोटों के पहाड़, जमशेदपुर में बोले पीएम मोदी

News Flash 19 मई 2024

झारखंड के साथ याद आते हैं नोटों के पहाड़, जमशेदपुर में बोले पीएम मोदी

Subscribe US Now